देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
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मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
Salutations to the one particular that is offended, salutations for the killer of Madhu, Salutations get more info to at least one who was victorious over Kaitabha, salutations for the killer of Mahisha
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
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